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फसल अवशेष प्रबन्धन

हरियाणा में किसानों को फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाएंगे

हरियाणा में किसानों को फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाएंगे

चंडीगढ़, 12 अगस्त- हरियाणा में किसानों को फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाएंगे। इसके लिए किसान 21 अगस्त तक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक श्री विजय सिंह दहिया ने बताया कि केन्द्र सरकार की 'इन सीटू क्रॉप रेजीडयू मैनेजमेन्ट' स्कीम के तहत राज्य के विभिन्न जिलों में फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों जैसे सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रा चोपर, थेडर / मल्चर, शई मारर / रोटरी शलेशर, रिवर्सेबल एम बी प्लो, सुपर सीडर, जीरो टिल ड्रील मशीन -1, बेलर और रेक, क्रॉप रीपर ( ट्रैक्टर चालित, स्वयं बालित, रीपर कम बाईंडर ) पर अनुदान देने हेतु ऑनलाइन आवेदन विभाग के पोर्टल पर आमंत्रित किए जा रहे हैं :  https://agriharyana.gov.in/MechCRMScheme

लक्ष्यों से अधिक आवेदन प्राप्त होने पर लाभार्थीयों का चयन ड्रा / लाटरी के माध्यम से किया जायेगा। एक किसान लाभार्थी अधिकतम 3 विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र ( प्रत्येक 1 ) के लिए अनुदान का पात्र होगा। 

प्रत्येक कृषि यंत्र पर उपलब्ध अनुदान भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए अधिकतम मूल्य का 50 प्रतिशत अथवा भारत सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम अनुदान राशि ( जो भी कम हो ) देय होगी। इन उपकरणों की खरीद कृषि तथा किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा अधिकृत तथा सूचीबद्ध कृषि यंत्र निर्माताओं से करनी अनिवार्य है। 

इसके अतिरिक्त कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापना हेतू 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र, पंचायतों, एफपीओ/ पंजीकृत कृषक सोसायटियों / कॉपरेटिव सोसायटियों को उपलब्ध करवाने हेतू आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। 

इस बारे में विस्तृत जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की वैबसाईट पर उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त स्कीम के बारे में जानकारी संबंधित कृषि उप निदेशक / कृषि सहायक अभियन्ता के कार्यालय अथवा टोल फ्री नम्बर 18001802117 / 0172-2521900 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

पराली से निपटने के लिए सरकार ने लिया एक्शन, बांटी जाएंगी 56000 मशीनें

पराली से निपटने के लिए सरकार ने लिया एक्शन, बांटी जाएंगी 56000 मशीनें

उत्तर भारतीय राज्यों में पराली की समस्या (यानी फसल अवशेष or Crop residue) एक बहुत बड़ी समस्या है। अभी खरीफ का सीजन ख़त्म होते ही धान की पराली को किसान आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण फैलता है और वातावरण का तापमान बढ़ता है जो पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है। पराली जलाने के कारण कई अन्य समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं, जैसे शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाना। अभी कुछ वर्षों से सर्दियों में दिल्ली के वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के लिए हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा जलाई गई पराली को जिम्मेदार माना गया है, इसको देखते हुए केंद्र सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक किसानों से पराली का प्रबंधन ( फसल अवशेष प्रबन्धन ) करने के लिए कहते हैं। लेकिन जमीन पर इसका कोई खास असर नहीं दिखता, क्योंकि किसानों के पास पराली के प्रबंधन के लिए उचित मशीनें और तकनीक नहीं है, जिससे किसान अपनी पराली को जलाने पर मजबूर हो जाते हैं।

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चूंकि फिर से खरीफ की फसल नजदीक है और पराली का टाइम आने वाला है, जिसने सरकार की रातों की नींद उड़ा दी है। इसलिए सरकार पराली प्रबंधन के लिए नए प्रयास करने में जुट गई है, इसके तहत पंजाब की सरकार ने फैसला लिया है कि सरकार इस साल किसानों को 56,000 मशीनों का वितरण करेगी, इन मशीनों के द्वारा पराली का उचित प्रबंधन किया जा सकेगा। पंजाब सरकार में कृषि एवं कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा है कि सरकार वो हर संभव प्रयास करेगी जिसके द्वारा किसानों को पराली जलाने से रोका जा सके। पराली से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पंजाब सरकार पहले ही बहुत सारे उपाय कर चुकी है, इसके तहत सरकार ने साल 2018-2022 तक 90,422 मशीनें किसानों को पहले ही वितरित कर चुकी है। पंजाब सरकार ने मशीनों के मामले में एक अलग निर्णय लेते हुए बताया है कि अब छोटे किसानों को अलग तरह की मशीनें उपलब्ध करवाई जाएंगी, जिनमें सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल जैसी मशीनें शामिल होंगी, ऐसी 500 मशीनें राज्य के 154 प्रखंडों में भेजी जाएंगी।

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इसके साथ ही कृषि कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि किसानों को अब पराली प्रबंधन के लिए जागरूक किया जाएगा, इस दौरान पंजाब में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा जिसमें पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को बताया जाएगा। जागरूकता अभियान के तहत 15 सितम्बर के बाद कृषि विभाग के निदेशक स्तर के अधिकारी और कर्मचारी किसानों के खेतों में जाकर पराली को न जलाने के प्रति किसानों को जागरूक करेंगे। इसके तहत अधिकारी किसानों के घर में भी जाएंगे और उन्हें इससे होने वाली हानि के बारे में बताएंगे। इस जागरूकता अभियान को पूरे पंजाब में फैलाया जाएगा, जिसमें ग्रामीण विकास और पंचायत के अधिकारी, पर्यावरण विभाग, गैर सरकारी संगठन, स्कूलों और कॉलेजों के छात्र शामिल होंगे, इस दौरान अधिकारी किसानों से आग्रह करेंगे की इन मशीनों को वो खरीद लें।

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केंद्र सरकार ने पराली न जलाने पर किसानों को मुआवजा देने वाली स्कीम को स्वीकृति नहीं दी है, जिसे कृषि कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, साथ ही केंद्र सरकार को किसान विरोधी और पंजाब विरोधी बताया है, इस स्कीम के तहत पंजाब सरकार ने राज्य के धान उत्पादकों को पराली न जलाने के एवज में 2500 रूपये प्रति एकड़ का मुआवजा देने के लिए कहा था। जिसमें 1500 केंद्र सरकार का शेयर था जबकि 1000 रूपये पंजाब सरकार और दिल्ली की सरकार द्वारा मिलकर वहन किया जाना था। लेकिन केंद्र सरकार को यह स्कीम लाभप्रद नहीं दिखी और सरकार ने इस पर अपनी सहमति देने से साफ़ मना कर दिया। धालीवाल ने कहा कि पिछली सरकारों के समय कृषि यंत्रों के वितरण में भारी करप्शन हुआ है, जिसकी रिपोर्ट राज्य सरकार की टेबल पर पहुंच चुकी है। करप्शन करने वाले किसी भी आदमी को बख़्शा नहीं जायेगा।
पराली मैनेजमेंट के लिए केंद्र सरकार ने उठाये आवश्यक कदम, तीन राज्यों को दिए 600 करोड़ रूपये

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खरीफ का सीजन चरम पर है, देश के ज्यादातर हिस्सों में खरीफ की फसल तैयार हो चुकी है। कुछ हिस्सों में खरीफ की कटाई भी शुरू हो चुकी है, जो जल्द ही समाप्त हो जाएगी और किसान अपनी फसल घर ले जा पाएंगे। 

लेकिन इसके साथ ही एक बड़ी समस्या किसान अपने खेत में ही छोड़कर चले जाते हैं, जो आगे जाकर दूसरों का सिरदर्द बनती है, वो है पराली (यानी फसल अवशेष or Crop residue)। पराली एक ऐसा अवशेष है जो ज्यादातर धान की फसल के बाद निर्मित होता है। 

चूंकि किसानों को इस पराली की कोई ख़ास जरुरत नहीं होती, इसलिए किसान इस पराली को व्यर्थ समझकर खेत में ही छोड़ देते हैं। कुछ दिनों तक सूखने के बाद इसमें आग लगा देते हैं ताकि अगली फसल के लिए खेत को फिर से तैयार कर सकें। 

पराली में आग लगाने से किसानों की समस्या का समाधान तो हो जाता है, लेकिन अन्य लोगों को इससे दूसरे प्रकार की समस्याएं होती हैं, जिसके कारण लोग पराली जलाने (stubble burning) के ऊपर प्रतिबन्ध लगाने की मांग लम्बे समय से कर रहे हैं। 

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विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर भारत में ख़ास तौर पर पंजाब और हरियाणा में जो भी पराली जलाई जाती है, उसका धुआं कुछ दिनों बाद दिल्ली तक आ जाता है, जिसके कारण दिल्ली में वायु प्रदुषण के स्तर में तेजी से बढ़ोत्तरी होती है। 

इससे लोगों का सांस लेना दूभर हो जाता है, इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार से पराली के प्रबंधन को लेकर ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। 

पराली की वजह से लोगों को लगातार हो रही समस्याओं को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग-अलग स्तर कई प्रयास किये हैं, जिनमें पराली का उचित प्रबंधन करने की भरपूर कोशिश की गई है ताकि किसान पराली जलाना बंद कर दें। 

इस साल भी खरीफ का सीजन आते ही केंद्र सरकार ने पराली के मैनेजमेंट (फसल अवशेष प्रबन्धन) को लेकर कमर कस ली है, जिसके लिए अब सरकार एक्टिव मोड में काम कर रही है। 

अभी तक सरकार दिल्ली के आस पास तीन राज्यों के लिए पराली प्रबंधन के मद्देनजर 600 करोड़ रुपये का फंड आवंटित कर चुकी है। यह फंड हरियाणा, पंजाब तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली मैनेजमेंट के लिए जारी किया गया है।

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ने पराली मैनेजमेंट के लिए राज्यों की तैयारियों की समीक्षा के लिए बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में बताया कि, पिछले 4 सालों में केंद्र सरकार ने पराली से छुटकारा पाने के लिए किसानों को 2.07 लाख मशीनों का वितरण किया है। 

जो पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को वितरित की गईं हैं। बैठक में तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के द्वारा पराली जलाने को लेकर बेहद चिंतित है। 

पराली मैनेजमेंट के मामले में राज्यों की सफलता तभी मानी जाएगी जब हर राज्य में पराली जलाने के मामले शून्य हो जाएं, यह एक आदर्श स्थिति होगी। 

इस लक्ष्य को पाने के लिए राज्य सरकारों को कड़ी मेहनत करनी होगी और अपने यहां के किसानों को पराली मैनेजमेंट के प्रति जागरूक करना होगा, ताकि किसान पराली जलाने के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को गंभीरता से समझ पाएं।

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बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि पराली जलाने के बेहद नकारात्मक परिणाम हमारे पर्यावरण के ऊपर भी होते हैं। ये परिणाम अंततः लोगों के ऊपर भारी पड़ते हैं। 

ऐसे में राज्यों के जिलाधिकारियों को उच्चस्तरीय कार्ययोजना बनाने की जरुरत है, ताकि एक निश्चित अवधि में ही इस समस्या को देश से ख़त्म किया जा सके। 

मंत्री ने कहा कि राज्यों को और उनके अधिकारियों को गंभीरता से इस समस्या के बारे में सोचना चाहिए कि इसका समस्या का त्वरित समाधान कैसे किया जा सकता है।

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कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि हमें वेस्ट को वेल्थ में बदलने की जरुरत है, यदि किसानों को यह समझ में आ जाएगा कि पराली के माध्यम से कुछ रुपये भी कमाए जा सकते हैं, तो किसान जल्द ही पराली जलाना छोड़ देंगे। 

इसलिए कृषि अधिकारियों को चाहिए कि पूसा संस्थान द्वारा तैयार बायो-डीकंपोजर के बारे में किसानों को बताएं। जहां भी पूसा संस्थान द्वारा तैयार बायो-डीकंपोजर लगा हुआ है वहां किसानों को ले जाकर उसका अवलोकन करवाना चाहिए, 

साथ ही इसके अधिक से अधिक उपयोग करने पर जोर दें, जिससे किसानों को यह पता चल सके कि पराली के द्वारा उन्हें किस प्रकार से लाभ हो सकता है।

यह राज्य सरकार देगी पराली प्रदूषण को रोकने के लिए १ हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि

यह राज्य सरकार देगी पराली प्रदूषण को रोकने के लिए १ हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि

हरियाणा सरकार द्वारा पराली को जलाने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पराली खरीदने की बात कही है। किसानों द्वारा खेतों में पराली को जलाने (stubble burning) से रोकने के लिए उन्हें एक हजार रुपए प्रति एकड़ हरियाणा सरकार प्रोत्साहन राशि देगी। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने बताया है कि हरियाणा सरकार पराली के व्यवस्थित प्रबंधन (फसल अवशेष प्रबन्धन) के लिए पराली को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी, इसके लिए सरकार द्वारा अधिकारियों की समिति बनायी गयी है। साथ ही उन्होंने बताया कि राज्य के किसानों तक आधुनिक तकनीक, नवीन शोध, कृषि उपकरण एवं उर्वरक पहुँचाना सरकार की मुख्य प्राथमिकता है। इसे सफल करने हेतु सरकार लगातार कोशिश कर रही है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल द्वारा कृषि एवं खाद्य तकनीक मेले में आयोजित संगोष्ठि को सम्बोधित करने के दौरान, मेले में हरियाणा पवेलियन का दौरा कर जानकारी ली गयी। किसानों के लिए लगाए गए स्टालों में किसान उत्पादक संगठनों से वार्तालाप की, इस दौरान जे पी दलाल द्वारा किसान उत्पाद समूहों के 13 कम्पनियों के साथ 17 समझौता ज्ञापन भी किये गए।

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हरियाणा सरकार पराली प्रदुषण को रोकने के लिए देगी १ हजार रूपये प्रति एकड़

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि हरियाणा सरकार एक मजबूत पराली प्रबंधन एवं बेहतर पर्यावरण को ध्यान में रखकर कार्य कर रही है। राज्य सरकार द्वारा ८० हजार सुपर सीडर की तरह कृषि उपकरण मुहैय्या कराये गए हैं, जो राज्य के पराली प्रबंधन को अच्छा बना रहे हैं। सुपर सीडर कृषि यंत्रों को प्रोत्साहन देने के अतिरिक्त, पराली का उद्योगों में इस्तेमाल हेतु जोर दिया जा रहा है। किसानों को एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्रदान कर, किसानों को खेतों में पराली जलाने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में घटोत्तरी के साथ-साथ, एनसीआर में प्रदूषण भी कम हो और किसान भी सुखी एवं संपन्न हो।

अंतर्राष्ट्रीय मंडी विकसित करने के साथ किसानों को क्या सुविधाएँ दी जाएँगी ?

जे पी दलाल ने बताया है कि हरियाणा सरकार द्वारा सोनीपत में ५५० एकड़ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की किसान मण्डी विकसित हो रही है। इस अंतर्राष्ट्रीय मण्डी में किसानों को समस्त प्रकार की नवीनतम सुविधाएं मुहैय्या करायी जाएंगी। इसके अतिरिक्त किसान उत्पादक समूहों का गठन भी हो रहा है। इस साल लगभग एक हजार किसान उत्पादक समूह बनाने का संकल्प भी निर्धारित किया गया है। जिसमें से ७०० किसान उत्पादक समूहों का गठन संपन्न हो गया है। इन समूहों द्वारा १३.५० करोड़ रुपए का व्यापार किया गया है। समूहों के माध्यम से किसानों को सीधे फायदा पहुँच रहा है। किसान उत्पादक समूहों में उम्दा पैकेजिग एवं ग्रेडिंग के अनुरूप विपणन का इससे सम्बंधित प्रत्येक किसान को फायदा होगा।

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कृषि मंत्री ने बताया है कि किसानों के लिए कोल्ड चैन टैक्नोलोजी अपनाई जा रही है। इनमें आधुनिक तकनीक आधारभूत संरचना लगायी जाएगी। किसानों के लिए एक्सीलेंट सेंटर स्थापित किये जा रहे हैं। किसानों के लिए जनपदों में भी किसान प्रदर्शनी भी होगी। इनमें देखकर किसान नवीन मशीनरी एवं आधुनिक तकनीक आधारित खेती को अपनाकर फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने मेले के लिए सीआईआई का धन्यवाद किया, जिससे किसान लाभकारी जानकारी ले पा रहे हैं।
पंजाब में पराली जलाने के मामलों ने तोड़ा विगत दो साल का रिकॉर्ड

पंजाब में पराली जलाने के मामलों ने तोड़ा विगत दो साल का रिकॉर्ड

पंजाब भर में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी होने के साथ, राज्य के ज्यादातर गांवों में धुंध की हालत बनी हुई है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पंजाब में इस साल घटनाओं की कुल संख्या 1,027 के आंकड़े को छू गई है। भारत के करीब समस्त राज्यों में धान की कटाई आरंभ हो चुकी है। साथ ही, हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि, इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में काफी वृद्धि देखने को मिली है। नतीजतन, राज्य के ज्यादातर गांवों में धुंध की स्थिति बनी हुई है। ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस सीजन में खेतों में आग लगने के मामले विगत दो वर्षों की अपेक्षा में काफी ज्यादा हैं। बतादें, कि इससे सरकार द्वारा फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ज्ञात हो कि सोमवार को पंजाब में पराली जलाने के 58 मामले दाखिल किए गए हैं। इसके साथ ही इस वर्ष घटनाओं की कुल तादात 1,027 के चार अंकों के आंकड़े तक पहुँच चुकी है।

पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी

गौरतलब है, कि पंजाब में आज तक खेतों में आग लगने की अत्यधिक घटनाएं सीमावर्ती क्षेत्रों से दर्ज की जा रही थीं। फिलहाल, मालवा क्षेत्र में किसानों ने धान की पराली जलाना आरंभ कर दिया है। इसका प्रभाव पंजाब एवं दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर भी देखने को मिलेगा। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीआरएससी) के आंकड़ों के मुताबिक, 9 अक्टूबर को राज्य में 58 पराली जलाने की घटनाओं को एक सैटेलाइट द्वारा कैद किया गया था। वहीं, 2021 में उसी दिन 114 पराली जलाने की घटनाओं को दर्ज किया गया था। साथ ही, 2022 में ऐसे तीन मामले सामने आए थे।

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पराली जलाने की घटनाओं ने विगत दो वर्षों का तोड़ा रिकॉर्ड

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इसमें चिंता का विषय यह है, कि इस वर्ष की कुल संख्या 1,027 विगत दो वर्षों के संबंधित आंकड़ों से काफी ज्यादा है। 2022 और 2021 के दौरान पंजाब में 9 अक्टूबर तक क्रमशः 714 और 614 घटनाएं दर्ज हुई थीं। दरअसल, आज तक के मामले विगत वर्ष की तुलना में 43.8% ज्यादा और 2021 के आंकड़े (9 अक्टूबर तक) से 67% अधिक हैं। कुल मिलाकर, 2022 में 49,900 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं। 2021 में 71,304; 2020 में 76,590; और 2019 में 52,991 घटनाऐं दर्ज हुई थीं।

पराली जलाने के मामलों में वृद्धि की संभावना - कृषि विभाग

कृषि विभाग के एक अधिकारी का कहना है, कि "संगरूर, पटियाला और लुधियाना में किसानों ने फसल की कटाई शुरू कर दी है और इन तीन जिलों में अगले सप्ताह तक खेत में आग लगने का आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा।" जानकारों का कहना है, कि "कुछ खास नहीं किया जा सकता, क्योंकि किसान 2,500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे पर अड़े हुए हैं। परंतु, सरकार इस बात पर बिल्कुल सहमत नहीं हुई है।" साथ ही, अमृतसर प्रशासन ने पराली जलाने पर 279 लोगों पर 6.97 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।